दरिया और चांद
रात्रि में
एक दरिया
एक चमकीली नीली रेखा सा
शांत चित्त से
बह रहा
आकाश का पीला चांद
उसमें तैर रहा
एक फूल की छवि सा
दरिया बह रहा पर
चांद है ठहरा हुआ
दिखने में
कितने करीब हैं दोनों पर
यह तो वही जाने कि
उन दोनों के बीच कितने
मीलों की है दूरियां
फासले दरमियान होकर भी
कई बार हम एक दूसरे के
कितने करीब होते है
एक दूसरे को देख नहीं पाते
छू नहीं पाते
महसूस नहीं कर पाते पर
एक दूसरे को सोचे बिना
एक दूसरे के बिना रह नहीं
पाते
एक दूसरे के बिना जी
नहीं पाते
एक दूसरे के बिना मर नहीं
पाते।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001