दरसण करवां डोकरी, दर पर उमड़ै भीड़। दरसण करवां डोकरी, दर पर उमड़ै भीड़। भाव विभोर भगत रमै, भूलै मन री पीड़।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️