“दरपन”
“दरपन”
दरपन को क्या देखना
देखो अन्तस् रूप,
जिसमें ना चरित्र हों
सुन्दर भी कुरूप।
सच-सच ऐ दरपन बता
कैसा मेरा रूप,
मैं छाया हूँ प्रेम की
वफ़ा की उजली धूप।
“दरपन”
दरपन को क्या देखना
देखो अन्तस् रूप,
जिसमें ना चरित्र हों
सुन्दर भी कुरूप।
सच-सच ऐ दरपन बता
कैसा मेरा रूप,
मैं छाया हूँ प्रेम की
वफ़ा की उजली धूप।