दमागों दिल में हलचल हो रही है,
दमागो दिल मै हलचल हो रही है.
नदी यादों की बे कल हो रही है.
तू अपने फेस को ढँक कर निकलना.
नगर मै धूप पागल हो रही है.
तुम्हारी याद का डाका पड़ा है.
हमारी ज़ीस्त चम्बल हो रही है.
अभी तो शोक से फाडा है दामन.
अभी तो बस रिहर्सल हो रही है.
तेरी आँखों पे चश्मा गैर का है.
मेरी तस्वीर ओझल हो रही है.
——//अशफाक रशीद….