थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ
थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ अठै
इण अवनी माथै थूं इज हैं
जिणरौ सनेव निस्वारथ हैं
नितर आज-काल वगर मतळब
कोई ओळखांण ई नी राखतां हैं
थ्हारौ होवणौ ही म्हारी जिन्दगी री
सैसूं मोटी खुसी अर जीवण री आस हैं
बस मां! थ्हारी अे सनेव सूं भरियौड़ी
आंगळिया हरमेस म्हारे माथै राखजै
ओर मन्ने कीं नी चाहिजै
जलम जलम सूधी थूं ही चाहिजै
थ्हारे वगर जीवण री
कळ्पणा ही नी कर सकूं
थूं ही जिन्दगी जीवण रौ आधार हैं मां!
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️