थोड़ी देर को कोई जो आता है
थोड़ी देर को ही सही
कोई जो आता है
घर का दरवाजा खटखटाता है
दिल में सो रही संवेदनाओं को
जगाता है
प्यार का अमृतपान सा करवाता है
संजीवनी बूटी का पहाड़
मेरे शयनकक्ष के एक कोने में
स्थापित करके जाता है
शिराओं में बर्फ से जम रहे
रक्त का
प्रेम की अपनाहट भरी तपिश
मिलने से
नये सिरे से संचार होना तो
शुरू हो जाता है
मन ही मन
मन खुद को समझाने
लगता है कि
अपने दोस्तों और शुभचिंतकों के
बीच
अभी भी वर्चस्व है मेरा
थोड़ा बहुत रहा सहा जो भी है
अस्तित्व है मेरा
व्यक्तित्व प्रभावी प्यार से
परिपूर्ण है मेरा
जिन्दा हूं मैं
जीने के योग्य भी
चल जाऊंगी अभी
इसी प्यार भरी
उम्मीदों के सहारे
खिलौना कांच का
दरारों भरा सही
थोड़ा चलने का
हौसला अभी उसमें है
हर किसी कोने में भरा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001