थोपना
एक डरपोक अपनी बातों को थोपता है.
जी हाँ
इशारे तानाशाही पर है.
राजनीति और धर्म गद्दीगत आदमी.
खुद को ही सर्वेश्वर समझ लेता है.
खुद को असक्षम समझने वाले
इनके पिट्ठू बन जाते है.
विरोधियों को चुन चुनकर वर्चुअल दबाव देकर पक्ष में करना.
इनके हथियार.
जो डर निकला नहीं.
वही कारण मौत के बन जाते है.
वह जिससे निकल न पाये.
विद्रोह न हो.
प्रगति विनाश को प्राप्त होती है.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस