थिरक उठें जन जन,
थिरक उठें जन जन,
अंतर्मन झूम झूम गाए
गीत और नर्तन से
धरती अंवर गुंजाए
मिट जाएं नफरत के कांटे
थिरक उठें तन मन
गीत प्यार के ऐसे गाओ
धरती पर खिलें सुमन
प्रेम प्रीत की बगिया महके
प्रेम का हो गुंजन
गीत कोई ऐसा इस जग में
मिलकर के गाया जाए
जाति धर्म भाषा अंचल के
सारे भेद मिटाए
इंसा इंसा से प्यार करें
एक दुनिया नई बनाएं
गीत और संगीत दिलों में
ऐसा कोई सजाया जाए