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31 Mar 2023 · 1 min read

“थामता है मिरी उंगली मेरा माज़ी जब भी।

“थामता है मिरी उंगली मेरा माज़ी जब भी।
मैं ख़यालात के बीहड़ में भटक जाता हूँ।।”

■प्रणय प्रभात■

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