थर्मामीटर / मुसाफ़िर बैठा
कहते हो-
बदल रहा है गाँव
सुख–शांति का बन रहा यह ठाँव
तो बतलाओ तो-
गाँवों में बदला कितना वर्ण-दबंग?
कौन सुखिया कौन सामंत बलवंत?
कौन दुखिया कौन दीनहीन जरूरतमंद?
सेहत पाया
पा हरियाया
कौन हाशिया?
कौन हलंत?
कहते हो-
बदल रहा है गाँव
सुख–शांति का बन रहा यह ठाँव
तो बतलाओ तो-
गाँवों में बदला कितना वर्ण-दबंग?
कौन सुखिया कौन सामंत बलवंत?
कौन दुखिया कौन दीनहीन जरूरतमंद?
सेहत पाया
पा हरियाया
कौन हाशिया?
कौन हलंत?