त्यौहारों का संदेश!
होली हो या दशहरा,
दिवाली हो या नवरात्रा,
इनमें है संदेश भरा!
बुराई के प्रतिकार का,
अत्याचार से संहार का,
होलिका प्रतिक बन गयी,
साल दर साल जलती गयी!
पर जल ना सकी वह बुराई,
है जो होलिका हम में समाई,
बस प्रतिकात्मक हम जला आए,
और अपनी खामियां साथ ले आए!
द्वेष भाव जला नहीं,
अहित करना टला नहीं,
अवसर की रही तलाश,
वो गैर रहे या अपना ही खास!
ना रहती झिझक-ना होता मलाल,
पलक झपकते करते हलाल,
बुनते हैं नित नये जाल,
चलते हैं नित नई चाल,
रहता अपने हितों का ख्याल,
फिर करें किसी से कैसे सवाल!
यूंही चलता रहा है ये संसार,
मनाते रहते हैं सब त्यौहार,
बिना यह समझे बिना यह जाने,
बने रहते हैं अनजाने,
आओ चलें होली मनाने!
आओ आओ चलें होली मनाऐं!
होली मनाएं आओ,होली मनाएं!
होली है भैया, होली है-होलि -होली है !!