*** तौबा इन इश्कवालों से ***
कब तलक
बरसने का
इंतजार करते
रहे तुम
आज
तुम ही
कहते हो
बस करो
अब और नही
क्या बादल भी
कभी माना है
मनाने से नहीं
बरसा तो नहीं
जब बरसा तो
हाय तौबा
कैसी मुहब्बत है
तुम्हारी
स्वार्थ से भरी
यारी
तौबा
इन इश्क
वालों से
कर लो
ये कभी
अपने ना हुए
तो यारों के
क्या होंगे ।।
. ?मधुप बैरागी