तोहके निहारे
चमके चुनरिया चनरमा हो गोरी तोहके निहारे
देखते चहकि जाय मनवा हो गोरी तोहके निहारे
सब सुनराई के दिहलें खंघारी
तोहके विधाता जी रचलें सँवारी
केतनो बचाईं, नयनवा हो गोरी तोहके निहारे
चमके चुनरिया…………
कजरा में कँवरु कमेच्छा के जादू
गजरा सजा के गजब इतरालू
मह मह मह महके सिवनवा हो गोरी तोहके निहारे
चमके चुनरिया…………..
रूपवा के गगरी तनिक ढरका द
हँसि के ‘असीम’ आजु अमरित पिया द
कबले ई तरसी परनवा हो गोरी तोहके निहारे
चमके चुनरिया………….
© शैलेन्द्र ‘असीम’