तोड़ कर सारे लिहाज, घुस गए हिजाब में
तोड़ कर सारे लिहाज, घुस गए हिजाब में
छोड़ कर मुद्दे सभी, कुर्सी की चाह में
राजनीति चल रही, क्योंकर लिबास में
गा रहे हैं भेड़िए,बुलबुल के राग में
नज़रें लगी हैं उनकी, केबल शिकार में
आ गए हैं कौऐ, हंसों के वेश में
बात का बतंगड़, वोटों के कैश में
क्या चल रहा है आखिर, प्यारे से देश में
सावधान बुलबुल,न आना फरेब में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी