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15 Jan 2022 · 2 min read

तेरे हाथों में जिन्दगानियां

बचा ले तू इस सुंदर गुलशन की खूबसूरत जिन्दगानियों को ,
माफ़ कर दे इन भटके हुए गुनाहगार फूलों की नादानियों को I

चहुँओर हाहाकार का मंजर देखकर फूल तेरी तरफ देख रहा,
चलती चक्की में पिसते हुए फूलों के हस्रों से वो कुछ सोच रहा,
चमकते हुए चमन में छाये घनघोर अन्धकार से वो घबरा रहा ,
फूलों को ही बस केवल तेरी मोहब्बत का सहारा नज़र आ रहा I

बचा ले तू इस सुंदर गुलशन की खूबसूरत जिन्दगानियों को ,
माफ़ कर दे इन भटके हुए गुनाहगार फूलों की नादानियों को I

खूबसूरत चमन में तबाही की एक नई बयार फिर आ गई ,
अब लगता है जो बोया था,वो काटने की बारी आ ही गई ,
जिंदगी देने वाले मेरे “मालिक” जहाँ में कैसी आँधी आ गई ?
महकते हुए गुलशन के फूलों की आस तुझ पर अब आ गई I

बचा ले तू इस सुंदर गुलशन की खूबसूरत जिन्दगानियों को ,
माफ़ कर दे इन भटके हुए गुनाहगार फूलों की नादानियों को I

बड़े ही अरमानों से तूने इस प्यारे गुलशन को था बसाया ,
रंग-बिरंगे फूलों की खुसबूओं से इस गुलशन को महकाया,
“राज” तूने काँटों का कारोबार चारों ओर बेइंतहा बढ़ाया ,
फूल अँधेरी घनघोर घटा को देखकर फिर क्यों घबराया ?

बचा ले तू इस सुंदर गुलशन की खूबसूरत जिन्दगानियों को ,
माफ़ कर दे इन भटके हुए गुनाहगार फूलों की नादानियों को I

तेरी एक नज़र गुलशन को फिर मुस्कराना सिखा सकती,
गुलिस्ताँ के फूलों में एक तमन्ना का उजाला भर सकती ,
तेरे रास्ते पर चलने के लिए मेरी कलम तुझे याद करती ,
भर दे “ जहाँ ” को रोशनी से मेरी आँखें फरियाद करती I

बचा ले तू इस सुंदर गुलशन की खूबसूरत जिन्दगानियों को ,
माफ़ कर दे इन भटके हुए गुनाहगार फूलों की नादानियों को I
*******************************************************
देशराज “राज”
कानपुर

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