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3 Aug 2024 · 1 min read

तेरे मेरे सपने

साझे थे जो थे तेरे मेरे सपने
कैसे बाँटू वो थे, तेरे मेरे सपने

देखे सपने साथ साथ चलते
अविभक्त हैं , तेरे मेरे सपने

अलग हुए तो कैसे बाटेंगे
घुले मिले इतने, तेरे मेरे सपने

सतरंगी देखने में लग सकते
मिलकर शावस्त, तेरे मेरे सपने

डा. राजीव “सागरी”

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