तेरे ख्वाब
ख्वाब हूं तेरी आंखों का,
मंजिल हूं तेरी राहों का,
रोज भरते हो दरिया आंखों में,
बसा कर हमें अपनी सांसो में,
देख कर तस्वीर हमारी, आहें भरते हो,
छुपाकर सबसे उसे अपने दिल के पास रखते हो,
सुनहरे सपनों में खो कर राते गुजारते हो,
सूरज की आहट देख, अगली रात फिर मिलने का वादा कर जाते हो…
उमेंद्र कुमार