तेरे इश्क में जिये जा रहा हूँ
तेरे इश्क में मैं जिये जा रहा हूँ
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तेरे इश्क में मैं जिये जा रहा हूँ,
दुश्मनों के खंजर सहे जा रहा हूँ,
तेरा प्यार पाने की खातिर गम पिये जा रहा हूँ,
तेरे इश्क में मैं जिये जा रहा हूँ।
अपने दर्द को भूले जा रहा हूँ,
पर तेरे बहते लहू देखकर तड़पे जा रहा हूँ,
तेरे पाने की आश में खंजर सहे जा रहा हूँ,
तेरे तेरे इश्क में मैं जिये जा रहा हूँ।
तेरे दर्द को देखकर मरे जा रहा हूँ,
तुझे बचाने की खातिर ही खंजर के वार खुद पर लिये जा रहा हूँ,
तेरे शब्दों के बाण से मैं मरे जा रहा हूँ,
तेरे इश्क में मैं जिये जा रहा हूँ।
———————-मनहरण