तेरी याद में
मैं कहीं भी जाती हूं
तेरी याद में ही घुली जाती हूं
देखने वालों को लगता है
मैं मस्त हूं
खुश हूं लेकिन
यह तो मेरा दिल ही जानता है कि
मैं अंदर ही अंदर कितना रोती
हूं
कैसे एक पेड़ से जुदा होते हुए
एक पत्ते सी जमीन पर
औंधे मुंह गिरती हूं
कैसे एक फूल सी खिलती
दिखती हूं पर
कहीं भीतर से एक शोक में डूबे
पतझड़ की रुसवाई सी
मुर्झा जाती हूं
तेरी याद में जली जा
रही हूं
एक आग के गोले सी
दुनिया को लगता है कि
मैं एक बर्फ की शिला सी
खामोश हुए जा रही हूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001