तेरा ही ज़िन्दगी मैंं नित नया चेहरा बनाती हूँ
तेरा ही ज़िन्दगी मैंं नित नया चेहरा बनाती हूँ
कभी हँसता बनाती हूँ कभी रोता बनाती हूँ
गलत हर काम से नफरत,मुझे विश्वास मेहनत पर
मैं अपने हाथों से मिट्टी को भी सोना बनाती हूँ
मुझे रहना है सच्चा हम सफर बन साथ जीवन भर
तभी चल साथ तेरे खुद को हमसाया बनाती हूँ
बचाये डूबने वाले हजारों आज तक जिसने
मुसीबत में सहारा मैं वही तिनका बनाती हूँ
ये दिल है आइने जैसा दिखाता ‘अर्चना’ बस सच
कहीं टूटे न, इसको इसलिए पक्का बनाती हूँ
04-01-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद