तेरा एहसास जी के देखा है
तेरा एहसास
जी के देखा है
लम्स की
तेरी महकी खुशबू को
मैंने खुद में
बिखरते देखा है
लेके लफ़्ज़ों के
एक सहारे को
दर्द को अपने
छू के देखा है
ख़्वाब था या
कोई हक़ीक़त थी
खुद को तुझमें
सिमटते देखा है।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद