तेरा आईना हो जाऊं
कुछ बातों को राज ही रहने दे , कुछ बातें मैं छुपाऊं,
मुझमें तू झांक ले सच्चाई मेरी, तेरा आईना हो जाऊं।।१
तू चांद- निशा बन जाए मेरा ,मैं चांदनी बन जाऊं
तू भी रोशन रात करें और मैं भी रोशन हो जाऊं ।।२
तू मेरी खुशी का कारण हो, मैं तेरी मुस्कान बनू
तू भी शून्य हो जाए , मैं अपना किरदार निभाऊ।।३
नित सत्य पथ पर चलकर के हम ऐसे ऐसे अंक गडे,
कुछ शून्य तू भी ऐड करें , कुछ शून्य में भी लगाऊं।।४
ना कुछ तू बता अब मुझको, ना मैं कुछ अब सुनाऊं,
बारिश हो रही है,ना बचाऊ खुद को, मैं भीग जाऊं।।५
न कुछ पूछ अब मुझसे , न कुछ तू ओझल रहने दे
तू सब जानता है अब तुझे अपने बारे में क्या बताऊं।।६
तू मेरे गम का मेल धो ,मैं तेरा मरहम बन जाऊं
तू मेरी बाती हो जाए और मैं तेरा दिया बन जाऊं।।७
ये जीवन पथ बहुत लंबा है , रहबर मान लूं तुझको
राहों में जब भी गुजरे अंधकार से, मैं जुगनू हो जाऊं।।८
✍कवि दीपक सरल