तू होती तो
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मां तेरी पहचान कहां अब,
तेरे पग का निशान कहां अब।
स्वर्ग गमन की बलि वेदी पर
मली गयी,
बिना बताए तू उस दिन
मां चली गयी।
आँचल की शीतल छाया में
अति सुख पाता।
तू होती तो,
मैं भी तेरा दिवस मनाता।
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पहला अक्षर
तुझसे ही तो पाया था,
चंदा वाला गीत तेरे संग,
गाया था।
कोई त्रुटी कुछ होने पर,
कोई नहीं टोंकता।
मुझसे गलती होने पर
कोई नहीं रोकता।
अब तो कुत्ता भी कह कर
कोई नहीं बुलाता।
तू होती तो,
मैं भी तेरा दिवस मनाता।
***
एक चौखटा माला पहने
टँगा हुआ है,
लगता अब भी देता रहता
रोज दुआ है।
तेरे न होने का मुझको
दुख ही दुख है,
पर तेरे प्रताप से
मुझको सुख ही सुख है।
मन भारी कर देता,
माँ बेटे का नाता।
तू होती तो,
मैं भी तेरा दिवस मनाता।
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मां माली बन
उपवन एक लगाती है,
पौधे को बड़ विरवा
स्वयं बनाती है।
इस जग की देखो
है कितनी रीत अनोखी,
मां की अपने बेटे के प्रति
प्रीत अनोखी।
अटल सत्य है
आने वाला एक दिन जाता।
माँ होती तो,
मैं भी मां का दिवस मनाता।
#मातृदिवस विशेष
रचना तिथि 14/05/2023