तू ही इक जीने का सहारा है
घटा चाँदनी रातो मे, क्या नजारा है ।
तू ही तो इक मेरे जीने का सहारा है ।
तू बरस जा मेरे ऊपर अंग-भंग कर जा ।
मै डूब जाऊं तुझमे ऐसा रंग कर जा ।
तेरी हरेक मुस्कान लगता मुझे बहुत ही प्यारा है ।
घटा चांदनी रातो मे क्या नजारा है ।
तू ही तो इक मेरे जीने का सहारा है ।
हटा -घटा का घूंघट दिखा दे तू अपना मुखङा ।
लगती तू है मुझको जैसे कोई चांद का टूकङा ।
तेरे मुखङे पर मै फिदा हूं क्या तू रजामंद है ।
लगती जैसे कोई जल बीच चांदनी की परछाई है ।
आके लग जा तू मेरे गले तेरे बिना जीना नही गंवारा है ।
घटा चांदनी रातो मे क्या नजारा है ।
तू ही इक मेरे जीने का सहारा है
दूर न बैठो देखो, ऐसे तुम रूठ के ।
अंग -अंग मेरा देखो सिहर रहा टूट के ।
जरा पास आना दिल को बहलाना ।
ऐसा अंदाज हो जैसे कोई अप्सरा की सरताज हो ।
बहक जाए मन मेरा ऐसा तेरा श्रृंगार हो ।
नैनो से कर रही हो इशारे कितने दगाबाज हो ।
रफ्ता -रफ्ता न आओ मेरे पास इतना दूर क्यो किनारा है ।
घटा चांदनी रातो मे क्या नजारा है ?
तू ही तो इक मेरे जीने का सहारा है ?
Rj Anand Prajapati