तू बता , तू मुझे मिला कब है
तू बता तू मुझे मिला कब है
हूँ इन्तज़ार में गिला कब है
रात हो स्याह ,या कि सिन्दूरी
कुछ भी कहती भला शमा कब है
थक गया ज़िन्दगी से ही लड़ कर
आदमी मौत से लड़ा कब है
आज तक भी समझ नहीं आया
काम आती भला अना कब है
छोड़ घर जो निकल गया बाहर
कौन कह दे कि वो कहाँ ,कब है
कर ले कोशिश हजार पत्थर पे
पेड़ कोई उगा हरा कब है