तू क्या है मेरी नजर में
घर भर की जान है बेटी।
मां का अरमान है बेटी ।
पापा का लाड दुलार है बेटी।
आंगन की किलकारी है बेटी।
पूजा घर की पावन आरती है बेटी। रसोईघर की सौंधी महक है बेटी।
त्योहारों की चहल-पहल है बेटी।
शादी ब्याहों की धूम है बेटी।
हर उत्सव की रौनक है बेटी।
किचन गार्डन की चिड़िया है बेटी।
बहन की प्यारी सखी है बेटी।
बड़े भैया की जिद्दी लाडो है बेटी।
छोटे भैया की नटखट राजदार है बेटी ।
आस पडोस की लाडली है बेटी।
मेहमानों की खिदमतगार है बेटी।
सारे घर की मीठी सी प्यारी गूंज है बेटी।
मोहल्ले की पहचान है बेटी।
मेरे भारत का मान सम्मान है बेटी ।
किन्तु जिस पल मेरे घर आंगन से
विदा हो कर गयी मेरी बेटी।
ऐसा महसूस हुआ मुझे जैसे
मेरे तन से आत्मा और मेरे घर से
आवाज भी किसी ने समेटी।
– – रंजना माथुर दिनांक 26/11/2016
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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