तू कहीं दूर भी मुस्करा दे अगर,
तू कहीं दूर भी मुस्करा दे अगर,
हमारी रूह भी सुकून बहुत पाती है।
खिले गुलाब सा हो जाता ये मलूल ज़ेहन,
गर्द ए राह पर फुहार बरस जाती है।
सतीश सृजन
तू कहीं दूर भी मुस्करा दे अगर,
हमारी रूह भी सुकून बहुत पाती है।
खिले गुलाब सा हो जाता ये मलूल ज़ेहन,
गर्द ए राह पर फुहार बरस जाती है।
सतीश सृजन