तुहिन ( कुंडलिया )
तुहिन ( कुंडलिया )
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लटकाई थी खीर जो ,शरद पूर्णिमा-रात
पड़ी तुहिन उस खीर में ,मधु-जैसी सौगात
मधु-जैसी सौगात ,स्वाद अब हुआ निराला
मानो अमृत घोल , स्वर्ग से प्रभु ने डाला
कहते रवि कविराय , प्रेम से सब ने खाई
छींके ऊपर टाँग , खीर जो थी लटकाई
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
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तुहिन = ओस-कण , ठंडक , हिम
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