तुम भी न पा सके
अफ़सोस ! इश्क़ का
हासिल न पा सके
दिल तेरी आरज़ू के
अरमाँ न पा सके
जो ज़िंदगी थे मेरी
वो पल न पा सके
तेरे साथ भीग जाते
वो बारिश न पा सके
जो उम्र भर ठहरता
वो मंज़र न पा सके
मंज़िल थी इश्क़ की
हम भी न पा सके
तुम भी न पा सके ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद