तुम्हारे अवारा कुत्ते
तुम और तुम्हारे अवारा कुत्ते
उपद्रव मचाए फिरते हैं गलियों मे
काटते फिरते हैं वेवजह इंसानों को
छोड़ देते हैं वायरस उनके खून मे
इस मकसद के साथ
कि वो भी उपद्रवी बन जाएं
मारूफ आलम
तुम और तुम्हारे अवारा कुत्ते
उपद्रव मचाए फिरते हैं गलियों मे
काटते फिरते हैं वेवजह इंसानों को
छोड़ देते हैं वायरस उनके खून मे
इस मकसद के साथ
कि वो भी उपद्रवी बन जाएं
मारूफ आलम