Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Apr 2020 · 1 min read

तुम्हे हमारी क्या जरुरत हैं।

-: तुम्हे हमारी क्या जरूरत है। :-

तुम तो हो विद्वान अभी भी
मैं गँवार पहले जैसे ही।
नज़र वंही है नयन ठहर गए
दिल आज भी वैसे ही।
तुम्हे हमारी क्या जरुरत है।
जीलोगे तुम वैसे ही।

तारे गिनता हुवा रात को
मैं बदलूं करवट वैसे ही।
चंद्र खिलौना मिलन सलोना
लगे मनोहर वैसे ही।
तुम्हे हमारी क्या जरूरत है।
जीलोगे तुम वैसे ही।

चिर निंद्रा में स्वपन क्षण में
दिखते हो तुम वैसे ही।
रात बेचारी लम्बी हो गई
मैं जांगु अक्सर वैसे ही।
तुम्हे हमारी क्या जरूरत है।
जीलोगे तुम वैसे ही।

सुबह सवेरे मिल उपवन में
नयन मिले फिर वैसे ही।
अरसो बाद मिले फिर कोई
आओ मिले फिर वैसे ही
तुम्हे हमारी क्या जरुरत है।
जीलोगे तुम वैसे ही !!

-भगवान सिंह चारण डीडवाना

Language: Hindi
1 Like · 405 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
With Grit in your mind
With Grit in your mind
Dhriti Mishra
'रामबाण' : धार्मिक विकार से चालित मुहावरेदार शब्द / DR. MUSAFIR BAITHA
'रामबाण' : धार्मिक विकार से चालित मुहावरेदार शब्द / DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
सुलगते एहसास
सुलगते एहसास
Surinder blackpen
🤔🤔🤔
🤔🤔🤔
शेखर सिंह
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
shabina. Naaz
करगिल विजय दिवस
करगिल विजय दिवस
Neeraj Agarwal
माँ सरस्वती प्रार्थना
माँ सरस्वती प्रार्थना
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
अपना दिल
अपना दिल
Dr fauzia Naseem shad
इतने सालों बाद भी हम तुम्हें भूला न सके।
इतने सालों बाद भी हम तुम्हें भूला न सके।
लक्ष्मी सिंह
*शब्द*
*शब्द*
Sûrëkhâ Rãthí
भोले
भोले
manjula chauhan
तितली
तितली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
इश्क़ ❤️
इश्क़ ❤️
Skanda Joshi
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कई मायनों में खास होती है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कई मायनों में खास होती है।
Shashi kala vyas
उत्साह का नव प्रवाह
उत्साह का नव प्रवाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"अगली राखी आऊंगा"
Lohit Tamta
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
हे प्रभू तुमसे मुझे फिर क्यों गिला हो।
हे प्रभू तुमसे मुझे फिर क्यों गिला हो।
सत्य कुमार प्रेमी
गीत(सोन्ग)
गीत(सोन्ग)
Dushyant Kumar
सादगी मुझमें हैं,,,,
सादगी मुझमें हैं,,,,
पूर्वार्थ
*सावन में अब की बार
*सावन में अब की बार
Poonam Matia
पेड़ से कौन बाते करता है ।
पेड़ से कौन बाते करता है ।
Buddha Prakash
दिल कि गली
दिल कि गली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
माँ
माँ
Dr Archana Gupta
पेंशन प्रकरणों में देरी, लापरवाही, संवेदनशीलता नहीं रखने बाल
पेंशन प्रकरणों में देरी, लापरवाही, संवेदनशीलता नहीं रखने बाल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चंदा मामा (बाल कविता)
चंदा मामा (बाल कविता)
Ravi Prakash
हिन्दी दोहा - स्वागत
हिन्दी दोहा - स्वागत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ज़िन्दगी की तरकश में खुद मरता है आदमी…
ज़िन्दगी की तरकश में खुद मरता है आदमी…
Anand Kumar
👍👍
👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
बेरहम जिन्दगी के कई रंग है ।
बेरहम जिन्दगी के कई रंग है ।
Ashwini sharma
Loading...