तुम्हारी तपिश चाहिए
तुम एक सूरज हो या
सौ सूरज को मिलाकर
एक सूरज हो
मैं तो सूरजमुखी का
आंचल लहराती
बाग की मिट्टी से उगती
एक खिलती कली हूं
मुझे खिलने के लिए
जी भरकर जीने के लिए
खिलखिलाकर हंसने के
लिए
बस तुम्हारी थोड़ी सी
तपिश चाहिए
फिर तुम चाहे कोई भी हो
और कैसे भी क्यों
न हो।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001