तुम्हारी खामोशी
तुम्हारी खामोशी
दिल में एक तीर सी
चुभ रही है
कितना कम मिलते हैं हम
फिर भी तुम मुझसे बोलने को
राजी नहीं
ऐसी भी क्या नाराजगी
ऐसी भी क्या बेरुखी
चलो फिर मैं भी खामोश
हो जाती हूं और
बंद करती हूं देना तुम्हें कोई भाव
फिर देखना
तुम कैसे तिलमिलाते हो और
तुम्हारे दिल पर भी
कैसे नजरअंदाजी के तीर चलते हैं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001