तुमसे बिछड़ के दिल को ठिकाना नहीं मिला
तुमसे बिछड़ के दिल को ठिकाना नहीं मिला
तुम सा कहीं भी हमको दीवाना नहीं मिला
सपनें रहे अधूरे गिला ये रहा हमें
वो चाहतों का तुमसे खज़ाना नहीं मिला
कुछ याद ही कहाँ हैं सनम प्यार में हमें
तुमको भुला सकें वो बहाना नहीं मिला
ऐसी तरंग छेड़े ,न फिर होश ही रहे
मनमीत का मधुर वो तराना नहीं मिला
हो एक घर हमारा भी ख्वाहिश यही रही
ढूंढा यहाँ मगर वो घराना नहीं मिला
इक बार दिल तुम्हारे गए बस तो फिर हमें
सारे जहाँ में ऐसा ठिकाना नहीं मिला
पल जी लिए वही जो चले साथ अर्चना
फिर बाद में सफर वो सुहाना नहीं मिला
डॉ अर्चना गुप्ता