तुमने कमाया धन ——-( घनाक्षरी)
तुमने कमाया धन मैंने भी कमाया धन।
तन के लिए ही वह,काम नहीं आया रे।।
बार बार झूंट बोला,हर बार कम तोला।
बोला बोला नहीं बोला,गरीब ठगाया रे।।
बदली वक़्त ने गति,काम करती न मति।
हो रही है अति क्षति,वक्त ने बताया रे।।
संभल संभल अब,समझेगा कब तब।
सूनापन होगा जब,या फिर सफाया रे।।
राजेश व्यास अनुनय