तुमको क्या कहूं
तुम्हे चांद कहूं या आफताब कहूं ।
या फिर कोई शवाब कहूं ।
जो भी है तेरी नजरो को देखकर ।
हम तो तुम्हे लाजवाब कहूं ।
नाकनटी सी लगती हो ।
शोला जैसे चमकती हो ।
तुम्हे हाट कहूं या बाट कहूं ।
या फिर दिल -ए-बहार कहूं ।
देख तुम्हे है लुभाते ।
तारे भी देखकर है छिप जाते ।
आसमान का खुमार ।
या फिर रूप सैलाब कहूं ।
देख कर जीते है सभी ।
आपने सोचा है कभी ।
कहो तो जन्नत हूर कहूं ।
कहो वही जो जी हुजूर कहूं ।
सूर्ख होठ को देख कर ।
या फिर फूल गुलाब कहूं ।
तुम्ही कहो तुमको क्या कहूं ।
क्या कहा बबली कहूं ।
ठीक है ।
है तुमको जो पसंद वही बात कहेंगे ।
तुम दिन को कहो रात तो रात कहेंगे ।
Rj Anand Prajapati