तुन्हे क्या कहे
अब हम तुम्हें क्या, कहे
तुम्हारी फितरत ही ऐसी है
फूलों की महक तो देते हों,
मगर उससे पहले
कटीले झाड़ो से रूबरू कराते हो..
अब हम तुम्हें क्या, कहे
तुम्हारी फितरत ही ऐसी है
फूलों की महक तो देते हों,
मगर उससे पहले
कटीले झाड़ो से रूबरू कराते हो..