**तीर सी सीधी चुभती बातें खरी-खरी**
**तीर सी सीधी चुभती बातें खरी-खरी**
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तेरे अंदर देखी जमा कतई बात कसूती सैं,
यारां का है यार बाकी बेशक बातें झूठीं सैं।
तीर सी सीधी चुभती तेरी बातें खरी-खरी,
सीना छलनी कर देती सारी बातें रूखी सैं।
जमा ए चाला पाड़ दिया कोई जिक्र नहीं,
थारे तांईं कै कहना म्हारी किस्मत फूटी सै।
जानबूझ कर लड़े लडाई कोई फिक्र नहीं,
बिंद में तू कह दैवे दिखे तों रूठी-रूठी सै।
आ के देख हाल गात का बीतन न होरया,
हरी भरी ना होई कद की डाली सूखी सै।
सौ बाता की बात एक भी समझ न आई,
नीयत तेरी खोटी आत्मा प्रेम की भूखी सै।
तों भला कै जाने मनसीरत का हाल बुरा,
तंग बहुत करे मनैं तेरी दी हुई अंगूठी सै।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)