तीन मुक्तक
तीन मुक्तक….
इंसान जगा इक आज नया
जागा सपना जब टूट गया।
थी नींद बड़ी गहरी उसकी।
सोया बिन पीकर वो विजया।1
जी लो तुम आज नया सपना।
जाये बन रोचक वो घटना।
पाये न कहीं अब कोइ कमी।
आगे बस आगे’ सदा रहना।2
देखो कितना कुहरा है’ घना।
इंसान डरे इससे कितना।
भोगे अपनी करनी फल वो
है आज बड़ी सबसे घटना।3
प्रवीण त्रिपाठी
08 नवम्बर 16