तिलक-विआह के तेलउँस खाना
तारल मछरी, मुर्गा, सब्जी छानल भात मिठाई
शादिन के इ तेलउँस खाना तेल निकाले भाई
पूँडी के आटा में खूबे डालल जात रिफाइन
ऊपर से भरपेट खिआवे लो साढ़ू-सढ़ुआइन
चाउर में तऽ तेल डालि के जात हवे अब छानल
खायेक परे मजबूरी में काम करे ना ठानल
मछरी तबले तारल जाता जबले बने चमोटी
एसे तऽ नीमन बा खाइल सूखल-पाकल रोटी
सब्जी में सब्जी से बेसी तेल लगे उतराए
कवर उठावत छुटे पसीना देहि लगे छितराये
परवल अउर करेला, भिंडी, जात हवे अब तारल
ई समाज का निमनो मनई के चाहत बा मारल
तिलक बिआहे के खाना अब रोज बनावे रोगी
अधिक तेल हऽ जहर सरीखा जे खाई ऊ भोगी
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 21/05/2023