तिरे दर से गुजर के देख लिया
न तो जन्नत, न जहन्नुम है मर के देख लिया
यहीं पे दोनों मिले प्यार करके देख लिया
हवा मतलबी है इस छोर से उस छोर तलक
तिरे शहर में भी कुछ दिन ठहर के देख लिया
मिरी तलाश में अब खिड़कियाँ नहीं खुलतीं
कई दफा तिरे दर से गुजर के देख लिया
कुचल के फूल वो हर बार निकल जाता हैं
हजारों बार जमीं पर बिखर के देख लिया
अजब है हौसला परवाज छोड़ता ही नहीं
न जाने कितनी दफा पर कतर के देख लिया