तिरंगा मेरा अभिमान
**तिरंगा मेरा अभिमान**
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तिरंगा मेरे देश की है शान
वीर जवानों का है सम्मान
खुशियों भरे होते हैं लम्हें
लहराता झंडा खुले मैदान
प्रफुल्लित होता है तन मन
तीन रंगा ही मेरा अभिमान
स्वतंत्र पताका लहराने को
नौजवान हो गए थे कुर्बान
शहीदों की शहादत बदले
लहराने का मिला है मान
देश के लिए जो मर मिटे
न्यौछावर कर दिए थे प्राण
खुली हवा में ले रहें सांस
बेशकीमती दिए बलिदान
देशभक्त देशभक्ति में लीन
भूले बैठे थे परिवार संतान
यूँहीं नहीं मिला हमे ये हक
सूली झूम गए प्रौढ़,जवान
जुल्मोसितम की ज्वाला में
मिटा दिए कई नामोनिशान
ध्वजारोहण सदा होता रहे
गुलामी में न हो कोई इंसान
दुर्ग पे केतन हो गौरवान्वित
मिलता रहे सदा यह वरदान
मनसीरत मन की है मुराद
हाथों में केतु हो जो परवान
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
जय जवान जय किसान