तितलियां
तितलियाँ
कुदरत की हसीन सौगात तितलियाँ।
फूलों से करती हैं बात तितलियाँ।।
इनमें नेताओं-सा छल-बल नहीं है,
नहीं पहुंचाती किसे आघात तितलियाँ।।
दफ्तरी बाबू-सी इनमें ऐंठ नहीं है,
देती हैं खुशियां दिन-रात तितलियाँ।।
ये मंदिर-मस्जिद में भेद नहीं करती,
नहीं मानती जात औ पात तितलियाँ।।
नहीं सरहदों की कोई बंदिशें इन पर,
न ही करें कोई वारदात तितलियाँ।।
नहीं जलती किसी की खुशी देख कर,
बताती मानव को औकात तितलियाँ।।
सिल्ला’ इनसे खुशियां बांटनी सीखो,
खुशियाँ बांटें शाम-प्रभात तितलियाँ।।
-विनोद सिल्ला