तालीम ए इश्क
चाहत थे कभी, किसी के जीने की,
आज खुद जीने की चाहत नहीं ….
जो जिंदगी थे हमारी कभी,
वह हमारी जिंदगी से खेल गए….
उन्हें नशा था हमारे इश्क का,
आज हमें जाम ए इश्क करा गए….
सोचा ना था इस कदर सितम डाएंगे,
वह कातिल बन कर हमारे, चैन की नींद सो जाएंगे ….
सुकून यही था बस हमें हम किसी की चाहत तो थे,
वरना कौन, किसी को झूठी भी मोहब्बत करता है….
दर्द ए इश्क के साथ तालीम भी दे गए,
के बिना मतलब के कौन इश्क करता है।
उमेंद्र कुमार