तात्या टोपे बलिदान दिवस १८ अप्रैल १८५९
स्वतंत्रता के अग्रणी वीरों में, तात्या टोपे १८५७ महा नायक थे
भारतीयों के साथ साथ ही, अंग्रेजों को अविस्मरणीय योद्धा थे
सन १८५७ रानी लक्ष्मीबाई, कुंअर सिंह,माधौसिंह, नवाब खान, बहादुर खान ने प्राणों का बलिदान दिया
भूमिगत हो गए तात्या टोपे, सेनानियों को संगठित किया
गुरिल्लायुद्ध में माहिर तात्या ने, गोरों को मुंह तोड़ जवाब दिया
कानपुर झांसी और ग्वालियर, जयपुर जोधपुर में संघर्ष किया
वेतवा चंबल और नर्मदा पार कर, दक्षिण में भी वीर गया
उस महावीर के हमलों से, अंग्रेज बहुत घबराते थे
तात्या के तीखे हमले में,अकसर जानमाल गंवाते थे
जब तात्या को अंग्रेजी सेना, जिंदा या मुर्दा न पकड़ सकी
छल कपट किया अंग्रेजों ने,नरवर राजा से राज्य लौटने की बात कही
प्रलोभन में राजा नरवर मानसिंह ने, तात्या टोपे से विश्वास घात किया
७अप़ैल १८५९ को धोखा देकर, तात्या टोपे को गिरफ्तार किया
१० अप्रैल १९५९ को कोर्ट मार्शल हुआ, राजद्रोह का चला मुकदमा और फांसी का हुक्म दिया
वयान दिया शेर ने, मैं रहा नहीं राज्य में तुम्हारे?
नहीं तुम्हारी प़जा?
फिर कैंसा राजद्रोह?
पेशवा थे राजा यहां के, मैं उनके यहां मुलाजिम
मैं राजद्रोही नहीं राजभक्त हूं,अब भी हूं कायम
व्यक्तिगत तौर पर मैंने, नहीं अंग्रेजों को मारा
झूंठे हैं आरोप तुम्हारे, और मुकदमा सारा
नहीं कोई दुश्मन था मेरा,जिसको फांसी पर लटकाया
अपने देश की रक्षा करने, मैंने तलबार चलाई
जो भी आया सामने मेरे, गर्दन मैंने उड़ाई
नहीं था मैं प़जा तुम्हारी, फिर ये कैसी कार्यवाही?
१८ अप्रैल १८५९ शिवपुरी में, महा नायक तात्या टोपे जी को नीम के पेड़ पर लटकाया
अपनी माटी को शिर से लगा, फंदा हंसते हुए गले लगाया
रखी है पोशाक शेर की,आज भी लंदन म्युजिअम में
अविस्मरणीय योद्धा के, अविस्मरणीय स्मरण में
तात्या टोपे जिंदा है, भारत माता के जन जन में
जय हिन्द 🙏 सुरेश कुमार चतुर्वेदी