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14 Apr 2017 · 1 min read

तस्सली

किसी चाहत की गहराई कभी हम ले नहीं सकते।
ये झूठी सी तसल्ली तक भी तुमको दे नहीं सकते।
भले इस नाव की पतवार है मेरे ही हाथों मे।
मग़र मंझधार की नैया तो हम भी खे नही सकते

स्वाति गर्ग

Language: Hindi
312 Views
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