तस्सली
किसी चाहत की गहराई कभी हम ले नहीं सकते।
ये झूठी सी तसल्ली तक भी तुमको दे नहीं सकते।
भले इस नाव की पतवार है मेरे ही हाथों मे।
मग़र मंझधार की नैया तो हम भी खे नही सकते
स्वाति गर्ग
किसी चाहत की गहराई कभी हम ले नहीं सकते।
ये झूठी सी तसल्ली तक भी तुमको दे नहीं सकते।
भले इस नाव की पतवार है मेरे ही हाथों मे।
मग़र मंझधार की नैया तो हम भी खे नही सकते
स्वाति गर्ग