तस्वीर
उसे देख कर खींच दी,कुछ तस्वीरे,
हुबहु उससे मेल खाती ‘ जो वो है !
बस कपडे से नहीं ढाँप पाया उसे .
वह बहुत मजबूत वा खूबसूरत जैसे,
.
वह खाने में असमर्थ, कीचड़ कर्कट,
वह कभी तेल पीती, तो कभी घृत .
कभी नींबू गिनती की हरी भरी मिर्च.
गुलाब, बिल्वपत्र, बेर,गाजर,दूध भी.
इससे अच्छे तो मेरे घर की वो दीवार,
जिसके पीछे बंधी भैंस दोनों वक्त दूध
देती है, गोबर के रुप में खाद देती है.
चौराहे पर लगी मूर्ति, परेशान रखती है.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस