तस्वीर नज़रो के ही सामने पाऊँ
एक पल सोचूँ,तुझे पाऊँ
जिंदगी से अब ना घबराऊँ
तू ही कर्ता, तू विघ्नहर्ता
तस्वीर नज़रो के ही सामने पाऊँ
मुश्किल बड़ी हैं, कठिन घड़ी हैं
इस हलात में कैसे मैं काबू ना पाऊँ
माना कठिन सफर हैं,दुर्गम डगर हैं
सच्चाई के बल पे क्यू जीत ना जाऊँ
हिम्मत ना हारा,खुद को सँवारा
जिंदगी के तस्वीर को क्यू ना निहारूँ
हौसले बड़े हैं, इरादे कड़े हैं
सर पे जूनुनियात क्यू ना चढ़ाऊँ
ना उम्मीदी का सिला यँहा कुछ भी नही
तो यँहा करके अब कुछ क्यू ना दिखलाऊँ
®आकिब जावेद