तस्वीर तेरी
तस्वीर तेरी
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तस्वीर तेरी इस दिल में जिस दिन से बसाई है
सुकून दिन का और नींद रातों की गंवाई है।
दिल अब अक्सर मेरा बेकरार सा रहता है
यादों से अपनी कह दो कि बार बार ना आएं।
जुल्फों की छांव में तेरी अब जिंदगी बिताना है
इन गेसुओं से कह दो कि बहकें ना इधर उधर।
रात का आलम मेरे अब क्या करोगी जानकर
तसव्वुर में तेरे जागने की आदत सी हो गई है।
हसरत ए दीदार ए यार में रात काटता हूं ऐसे
फिर सुबह होगी और हुस्न का दीदार होगा।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्य प्रदेश