तरसती रहोगी एक झलक पाने को
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
#तरसती_रहोगी_एक_झलक_पाने_को
तरसती रहोगीं मेरी एक झलक पाने को
जब तेरी दुनियां से बहुत दूर चले जायेंगे
कराके अपने प्यार का एहसास तुमको
हम मिलने को कर मजबूर चले जायेंगे
ये दिल तोड़ने की सजा मिलेगी तुझे भी
जब तेरी दुनियां से बड़ी दूर चले जायेंगे
सादगी भरी मोहब्बत पे मर मिटते है जो
वो इश्क़ निभा कर बेकसूर चले जायेंगे
झूठी मुस्कान होठो में लिए चल रहे है जो
आँखों की नमी से कर रूबरू चले जायेंगे
गीत बनकर ज़ुबाँ में तेरे हर पल आऊँगा
वो गली वो शहर कर मशहूर चले जायेंगे
निगाहें बेरुखी से भरी थी लब ख़ामोश थे
जाते वक्त भी दामन में तिरे ख़ुशी बिखेर चले जायेंगे
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©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छः ग)